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Chandra Darshan : Poetry Series (Poetry 1: तू याद है मुझे!)














चंद्र दर्शन: एक कविता लहर(कविता - 1) 
लेखक : वी.एस.निखिल कसेर

शीर्षक: तू याद है मुझे!  

"वो काली काली रात याद है मुझे! 
हर रात की वो याद, याद है मुझे! 
मिलकर देखे थे जो ख्वाब याद है मुझे! 
कुछ पूरे करने जो है बाकी, याद है मुझे! 

पिछले सावन की हर हवा याद है मुझे! 
तपते ग्रीष्म की तपिश याद है मुझे! 
बारिश की हर इक बूंद याद है मुझे! 
तेरे चेहरे का खुबसूरत नूर याद है मुझे! 

तेरी हर एक अदा याद है मुझे! 
तेरी हर इक हंसी याद है मुझे! 
तेरे सारे वादे जो किये थे तूने याद है मुझे! 
कुछ जो तुम भूल गई वो भी याद है मुझे! 

तेरी सारी कबूतरी चिठ्ठीयाँ याद है मुझे! 
सुनते थे जो नगमे पुराने याद है मुझे! 
तेरी हर हंसी, हर खुशी याद है मुझे! 
तेरी ताजी ताजी हवा याद है मुझे! 

तेरी सारी अतखेलियाँ याद है मुझे! 
तेरी हर इक मासूमियत याद है मुझे! 
सारे बहाने इरादे तेरे याद है मुझे! 
अहसास प्यारे सारे याद है मुझे! 

तेरे सारे रंग खूबसूरती के याद है मुझे! 
तेरे साथ खेली हर होली याद है मुझे! 
तू याद है मुझे, तेरा चेहरा याद है मुझे! 
तेरे सारे पन्ने, सारी बातें याद है मुझे! 

तेरे साथ बिताए हर इक दिन याद है मुझे! 
आगे जीने हैं जो ख्वाब वो भी याद है मुझे!! 
मैं बहुत जल्द घर लौट रहा हूँ मिलने तुमसे! 
रहना खड़ी दरवाजे पर बेताब मिलने मुझसे!!"

- V.S.Nikhil Kaser
(Young Writer & Philosopher) 
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Special Thanks To. Aman Sir 👍
(The Image I Used, Is Clicked  By AMN) 

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This Poetry Is Originally Written By V.S.Nikhil Kaser. Writer & V.S.Digital Media Owns All Rights. All Rights Reserved Under : V.S.Digital Media

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