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Chandra Darshan: Poetry Series (Poetry 2)

कविता लहर (कविता - 2)  लेखक : वी.एस.निखिल कसेर शीर्षक: मुझे सिर्फ चाँद पर लिखना है!   "कभी कभी, छोटे छोटे कामों में उलझ जाता हूँ!  इसके चक्कर में, मैं लिखना शुरू से भूल जाता हूँ!  पर दावे से कह सकता हूँ कि कोई रात बीती नहीं अब तक!  जिस दिन शायरी-कलम चली न हो.. ख्वाब चाँद की बनी न हो।  मैं पूरे शहर का अकेला शायर हूँ!  जो चाँद से बेइंतेहा इश्क़ करता हूँ!  कुछ सुबह, कुछ दोपहर में फलक पर तो कुछ शाम की कशिस में करता हो!!  कुछ इश्क़ आसमां में ऊँचाइयों पर,  तो कुछ जमीं की गहराइयों में करता हूँ।  कुछ दिन के उजाले में बेबाक सा,  तो कुछ चांदनी रात में बकौफ करता हूँ।।  चाँद जबसे मिली रूह है मेरी,  उसके नखरे सारे पसंदीदा ख्वाहिशें हैं मेरे।  उसकी अंगड़ाई चाय की प्याली है मेरी,  उसके ख्वाब सारे इबादतों के पैग़ाम है मेरे।  ऐ खुदा! चाँद प्यारी है जान सी मेरी मुझे,  अब हर रात चाँद के साथ लिखने की तमन्ना है चाहे जियूँ जितने भी दिन जिंदगी के गिनकर,  हर वक़्त साथ चाँद के गुजारने की सिफारिश है।  माना च...

लेख-1 : दैनिक जीवन के खर्चों का नियंत्रण

दैनिक जीवन के खर्चों को नियंत्रित कैसे करें।  दैनिक जीवन में खर्चों का नियंत्रण - ये अत्यंत रोचक और प्रासंगिक विषय है, जो शायद हमारे लिए बहुत आवश्यक भी है और आवश्यक भी है।  वैसे तो इस प्रश्न में ही हमारा उत्तर छिपा है; क्योंकि वास्तव में अगर देखा जाए तो दैनिक जीवन में हम बहुत सारे ऐसे खर्चें करते हैं जो ना तो हमारे लिए आवश्यक होते हैं और न ही बहुत उपयोगी होते हैं। केवल दिखावे- दिखावे में ही हम चीजें खरीद लेते हैं और बाद में हम इसे फेंक देतें हैं या ये घर के किसी कोने में पड़ी रहती है।  ये सबके पीछे एक बड़ा कारण ये है कि हर बार हम आवश्यकता से अधिक ले लेते हैं, अमूमन जिसकी हमें ज़रूरत नहीं है। आवश्यकता से अधिक ले लेना ही हमारी परेशानी का कारण बन जाता है। आवश्यकता के अनुसार चीजों के कैसे लें यह एक बड़ा सवाल हमारे सामने है, इसकी विस्तृत चर्चा हम इस पूरे लेख (अनुच्छेद) में करेंगे।  दूसरी तरफ है महंगी चीजें - कई बार हम केवल दूसरों की देखा देखी में ही महंगी चीजें ले लेते हैं, और ये हमारी जेब पर भारी पड़ जाती है। वैसे तो इन चीजों की कोई खास जरूरत तो हमें होती नहीं फिर भी व्य...

Father's Day : Poetry (पिता- मेरे सर्वश्रेष्ठ मित्र)।

Father's Day : Poetry  पिता, बच्चे के लिए उसकी सबसे बड़ी प्रेरणा होते हैं। एक बच्चा अपने पिता को अपना गुरु मानता है और उन्ही से सब कुछ सिखता भी है। Father's Day के इस मौके कुछ पंक्तियाँ हर बच्चे के उस SuperHero के लिए: पिता - मेरे सर्वश्रेष्ठ मित्र!  "वो जिसने नाम दिया, जीवन जीने का ज्ञान दिया।  करने को खुद पर अभिमान दिया, मान दिया-सम्मान दिया।  हर परेशानी से बाहर निकलने में हमेशा साथ दिया।  कभी भटक गया तो, तो हाथ पकड़कर सहारा दिया।।  बचपन में जब भी जिद की, जो चाहा वो लाकर दिया।  कभी घोड़ा बनकर घर घुमाया, तो कभी हाथी बनकर शहर।  जब चाहा जो मांगा, बिना सोंचे बिना पूछे लाकर दिया।  किसी दिन माँ गुस्सा हुईं, तो हाथ पकड़कर साथ दिया।।  वो पिता ही तो है, जिसने जीवन के हर मोड़ पर साथ दिया।  जब भी मैं हार कर रुक गया, आगे बढ़ने के लिए दिशा दिया।  जब-जब मंजिल धुँधली दिखी, उम्मीदों का दीपक दिया।  हर पल हमेशा साथ रहकर, आगे बढ़ने का हौसला दिया।।  कभी हार गया जो पथ पर मैं, उस पिता ने ही हाथ दिया।  हर मुश्किल घडी में हाथ थामकर आग...

Motivational Quotes : Thought Of The Day-

Motivational Quotes : Thought Of The Day- (All Thoughts/Quotes Are Written By V.S.Nikhil Kaser.)  • "Don't Compare Yourself because you are unique and Don't Decide Your limits because you are Limitless." -V.S.Nikhil Kaser https://vsnikhilkaser.blogspot.com #motivationalthoughts #motivationalquotes #vsposts #vsdiary #vslines.

दैनिक जीवन के खर्चों को नियंत्रित कैसे करें? (Hindi)

Article - 2 दैनिक जीवन के खर्चों को नियंत्रित कैसे करें?  दैनिक जीवन में खर्चों का नियंत्रण - ये अत्यंत रोचक और प्रासंगिक विषय है, जो शायद हमारे लिए जानना बहुत आवश्यक भी है और जरूरी भी।  वैसे तो इस प्रश्न में ही हमारा उत्तर छुपा है; क्योंकि वास्तव में अगर देखा जाए तो दैनिक जीवन में हम बहुत सारे ऐसे खर्चें करते हैं जो ना तो हमारे लिए आवश्यक होती है और न ही उपयोगी। केवल दिखावे- दिखावे में ही हम चीजें खरीद लेते हैं और बाद में हम इसे फेंक देतें हैं या ये घर के किसी कोने में पड़ी रहती है।  इन सबके पीछे एक बड़ा कारण ये है कि हर बार हम आवश्यकता से अधिक ले लेते, अमूमन जिसकी हमें जरूरत भी नहीं होती। आवश्यकता से अधिक ले लेना ही हमारी परेशानी का कारण बन जाता है। आवश्यकता के अनुसार चीजों के कैसे लें ये एक बड़ा प्रश्न हमारे सामने है, इसकी विस्तृत चर्चा हम इस पूरे लेख (Article) में करेंगे।  दूसरी तरफ है महंगी चीजें - कई बार हम केवल दूसरों की देखा देखी में ही महंगी चीजें ले लेते हैं, और ये हमारी जेब पर भारी पड़ जाती है। वैसे तो इन चीजों की कोई खास जरूरत तो हमें होती नहीं फिर भी व्य...

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