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लेख-1 : दैनिक जीवन के खर्चों का नियंत्रण


दैनिक जीवन के खर्चों को नियंत्रित कैसे करें। 

दैनिक जीवन में खर्चों का नियंत्रण - ये अत्यंत रोचक और प्रासंगिक विषय है, जो शायद हमारे लिए बहुत आवश्यक भी है और आवश्यक भी है। 

वैसे तो इस प्रश्न में ही हमारा उत्तर छिपा है; क्योंकि वास्तव में अगर देखा जाए तो दैनिक जीवन में हम बहुत सारे ऐसे खर्चें करते हैं जो ना तो हमारे लिए आवश्यक होते हैं और न ही बहुत उपयोगी होते हैं। केवल दिखावे- दिखावे में ही हम चीजें खरीद लेते हैं और बाद में हम इसे फेंक देतें हैं या ये घर के किसी कोने में पड़ी रहती है। 

ये सबके पीछे एक बड़ा कारण ये है कि हर बार हम आवश्यकता से अधिक ले लेते हैं, अमूमन जिसकी हमें ज़रूरत नहीं है। आवश्यकता से अधिक ले लेना ही हमारी परेशानी का कारण बन जाता है। आवश्यकता के अनुसार चीजों के कैसे लें यह एक बड़ा सवाल हमारे सामने है, इसकी विस्तृत चर्चा हम इस पूरे लेख (अनुच्छेद) में करेंगे। 

दूसरी तरफ है महंगी चीजें - कई बार हम केवल दूसरों की देखा देखी में ही महंगी चीजें ले लेते हैं, और ये हमारी जेब पर भारी पड़ जाती है। वैसे तो इन चीजों की कोई खास जरूरत तो हमें होती नहीं फिर भी व्यर्थ की देखा-देखी और अपने अहं की संतुष्टि के लिए हम इन्हे खरीद लेते हैं। 

ये वैसे लगती तो छोटी सी चीज है पर कई बार हम इसकी वजह से परेशानी में पड़ जाते हैं। कुछ दिनों पहले ठीक मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। देखा-देखी और उत्साह-उत्साह में मैंने अपने मित्र से एक सेकंड हैंड फोन ले तो लिया, पर ये न तो मेरे काम का था और न ही मेरे लिए उपयोगी। बस वही दिखावे-दिखावे वाला फैसला और क्या फ़िर जेब से गए पैसे और मैनेज करना पड़ा। फिर मैंने सोचा क्यों न सारे पाठकों को इसके बारे में अवगत कराया जाए। तो इसी भाव के साथ आपका युवा लेखक आपके सामने हाज़िर है :

ऐसा नहीं की इन खर्चों को कम न किया जा सके या इन को नियंत्रित न किया जा सके ; इन पर नियंत्रण पाना संभव और आसान है। अगर हम थोड़ी सी अपनी समझदारी दिखाएं और "Money & Expenses Management" पर थोड़ा काम करें तो काफी अच्छे से आवश्यकताओं और खर्चों के बीच के अंतर को समझ सकते हैं। इसे समझने के बाद बेफिजूल के और अनावश्यक खर्च को भी हम रोक सकते हैं। 

"Money & Expenses Management" क्या है ? 

सुनने में ये काफी उल्झाउ (Complicated) लगता है, लेकिन उतना कंप्लिकटेड है नही -

सबसे पहले आपको ये लिस्ट बनाना होगा कि कौन सी चीज़े आपके लिए बहुत जरूरी है (बहुत जरूरी... सही पढ़ा आपने) और दूसरी लिस्ट उन चीजों के लिए जो आपके लिए उतने ज्यादा आवश्यक नही हैं। कौन सी चीज़े जरूरी है और कौन सी नही इसके अंतर को आप Covid-19 के Lockdown की परिस्थिति से समझ सकते है, (ईश्वर करे ऐसी स्थिति कभी न आये) जब पुरा देश घर में बंद है और साधन (रिसोर्सेज़) सबके पास काफी कम है, फिर भी हम सबने इन सीमित साधनों के साथ 2-3 महीने तक अपनी जीवन-चर्या को चलाया है। (हमारे कई देशवासी भाइयों - बहनो को बड़ी परेशानी हुई, हालांकि सरकार और देश के कई भावी सज्जनों के मदद से स्थिति सम्हली रही।) इससे हमें सीखने को मिलता है की हमारी आवश्यकता उतनी नही है, जितना हम उपभोग करते हैं । आवश्यकता और उपयोगिता के बीच के नियंत्रण को ही "Money & Expenses Management" कहते हैं। 

कैसे करें "Money & Expenses Management" ? 

ये काफी आसान है, हमे थोड़ा सा बस समझना होगा कि कहां हम खर्च करना है और कहां नहीं, किस पर करना है और क्या पर है। हमारी लिस्ट् के अनुसार हमें बस उन्ही चीजों पर खर्च करना है जिनके हमारे जीवन में उपयोगिता है, उन पर नहीं जो बस हमारे घर के किसी कोने पर पड़े रहते हैं। 

और हाँ वे शॉपिंग मॉल्स में ऑफ़र होता है न कि - 'खरीदें 2 गेट 1 फ्री' या '100 ग्राम अतिरिक्त 2 पैक के साथ चमकाओ डिटर्जेंट' या '1 किलो 10 किलो आलू के साथ मुफ्त' - तो सबसे पहले देखिये की क्या ये हैं? अभी जरूरी है या नहीं अगर है तो (खरीद लो) और नहीं तो आगे जाना है। 

दूसरी बात - सबसे पहले लुक की कोई बात अगर कहीँ बहुत महंगे दामों पर मिल रही है तो क्या वो कहीं सस्ते दामों पर उसी क्वालिटी में मिल सकती है क्या? (क्वालिटी चेक करने का काम फिर से आप का ही है) थोड़ी समझदारी से काम लेकर आप फ़िर से अपने फिजूल खर्चों को बचाएंगे। 

तीसरा और अंतिम - हाँ सबसे जरूरी उन चीजों को खरीदना ही मत जिनके लिए आपके पास पैसे हैं हो और आपको उधार में लेना पड़े, (खरीदों लेकिन अपने पैसों से)। क्योंकि हम चीजें ले तो लेते हैं उधारों में लेकिन बाद में पैसे में पड़ते आदमी से बचा के देनी पड़ती है। जिसमें काफी परेशानी आती है। 

तो इसी तरह हम देखते हैं कि हम थोड़ी सी अगर अकलमंडी दिखते हैं तो काफी फिजूल खर्चों को रोक सकते हैं। 

तो अंत में ही -
"सावधान रहो, सटीकता रहो," 
खर्च कम करो, मस्त रहो। ”

आपका अपना युवा लेखक:
वीएसनिखिल कासर

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Writer & Editor:
V.S.Nikhil Kaser

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