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एक सफ़र ज़िंदगी

नमस्कार! मैं निखिल,  हमारे सभी पाठक बंधुओं का हमारे Website पर स्वागत करता हूँ! मैं बड़े लंबे समय के बाद आप सभी से मिल रहा हूँ! लेकिन इस बार एक बहुत ही दमदार Article आप सभी के लिए लेकर आया हूँ! मैं सोच रहा था कि क्यों न अब हम आपके लिए नए Articles लाते रहें ताकि आप इनसे सीखते रहें और आपकी Growth भी होती रहे। तो एक छोटे से सोंच के साथ चलिए एक सफ़र की शुरुआत करते हैं। ये Blogs की Series होगी जिसमें हर सप्ताह सोमवार और गुरुवार आपको एक - एक Articles मिलेंगे। जिनका मुख्य उद्देश्य जीवन के सटीक उदाहरणों से आपको प्रेरित करना और सुझाव देना रहेगा।  Articles के इस सफ़र को हम नाम देते हैं, एक सफ़र ज़िंदगी Publishing Day's - Every Monday & Thursday  आप सभी अपना प्रेम और समर्थन बनाये रखिये।  आप सभी का हृदय की गहराइयों से बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙌 आपका अपना  निखिल,  हमसे जुड़िये: ➡YouTube ▶️ - https://bit.ly/3dbKOcE ➡Twitter 🐦- https://bit.ly/2NaEFCW ➡Blog 📰- https://bit.ly/3hDcGtz ➡Instagram 📷 - https://bit.ly/3dcNczY➡Anchor: https://anchor.fm/vspodcasts हमारे Podcast...

इक शाम छत पर (शायरी संग्रह)

"इन तपती धूप की बारिशों में,  ऊन की चादर लिए खड़ा हूँ!  बीत जायेगी सुबह की ये शाम,  ऐसी आस लिए जमीं पर पड़ा हूँ!!" - V.S.Nikhil Kaser #BeConnectWithNikhil "कि करां ऐ मौसम मैनु, सोन दी इजाजत नी दिन्दी! मैं त जगा सिर्फ़ ऐनु देखन वास्ते,  पर कंबख्त कमरे विच सिरकत ही नी दिन्दी!!" - V.S.Nikhil Kaser #BeConnectWithNikhil About Writer: V.S.Nikhil Kaser is a Young Writer & Philosopher. He created a website with the purpose of sharing Knowledge & Motivation with Good Guidance. All his original Poetry & Self Written Quotes are available on Facebook Page & Website.  🔵Listen Our Podcast Show: ➡Anchor: https://anchor.fm/vspodcasts ➡Spotify https://open.spotify.com/show/57oqffZf9cU3HCPv4xM5K4 🔵Follow Us On: ➡YouTube ▶️ - https://bit.ly/3dbKOcE ➡Twitter 🐦- https://bit.ly/2NaEFCW ➡Blog 📰- https://bit.ly/3hDcGtz ➡Instagram 📷 - https://bit.ly/3dcNczY Thank You For Visiting Us,  "Stay Supporting, Stay Learning." See You Soon... #BeConnectWithNikhil #vsni...

सुर्य ग्रहण पर कविता: मैं सूर्य अब लौट रहा हूँ!

शीर्षक : मैं सूर्य अब लौट रहा हूँ!  लेखक : वी. एस. निखिल कसेर (ये कविता 10 जून के सूर्य ग्रहण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, सूर्य की मनः स्थिति के अंतर्गत लिखी गई है। इसे पढ़िये, अपने मित्रों के साथ साझा करिये एवं Comment के द्वारा अपने सुझाव हमारे साथ साझा करिये, धन्यवाद!)  "गुमनामी के अंधेरों में..हाँ! गुमनामी के अंधेरों में! कुछ फ़ीके चिरागों को जरा सा मशहूर रहने दिया करो!! जो उछलते है जरा सा चमक कर...सूर्य के सामने, मेरे यारों, मेरे चाहनेवालों... हीरे की परख रखने वालों,  उन्हें दो पहर तो ढंग से झूठी चमक, फैला लेने दिया करो। फिर दमककर लौटेंगे! हम असली सूर्य अंतरिक्ष फलक पर, हट जायेगी सारी अंधियारी जो छाई है बरसों से अब तक। कह देना! उन झूठे बल्बों को कि; रौशनी जरा कम कर लें, ग्रहण जल्द हटने वाला है ! बड़ी जल्द हमारा सूर्य निकलेगा। राहत की पेटियों बांध लें सारे! अब हमारा सूर्य चमकेगा।। एक पैग़ाम मेरी माँ को भी देना कि बताशे जरा बनाके रखे, उनका सूरज लंबे ग्रहण से लौटेगा, लाज़मी; बड़ा भूखा होगा। अंतिम खत मेरी चाँद को देना, तैयार रहे वो छत पर सँवर के, बहुत...

किस्से अनोखे शायर के!

किस्से अनोखे! हक़ीम मिला कल शाम ही खाने पर, पूछा अब तबियत कैसी है शायर? पूछा समय पर लेते हो दवा आजकल? कहा मैंने : हाँ, हक़ीम जैसा तुमने बताया था, ठीक वैसा इक सुबह इक शाम लेता हूँ! लिखता हूँ! हर रोज सुबह इक ख़ुद पर, और देर शाम को इक चाँद पर! हकीम : अरे शायर! शायद पर्चा ही तुमने खोला नहीं, क्या लिखा था? उस पर्चे पर ये ही नहीं देखा होगा। खैर, चलो जो दवा लिया वो सही लिया तुमने! जो किया, वो बिल्कुल सही किया तुमने! अब जान गया, पता चल गया मुझे! किसी शायर को अब कोई पर्चा नहीं दूंगा मैं! कह दूँगा बस इक सुबह इक शाम! इक सुबह इक शाम!! - V.S.Nikhil Kaser #BeConnectWithNikhil https://vsnikhilkaser.blogspot.com

Chandra Darshan: A Poetry Series (Poetry-3)

चंद्र दर्शन: एक कविता लहर (कविता - 3)  लेखक : वी.एस.निखिल कसेर शीर्षक: जल्द ये फ़ासले मिट जायेंगे!  ' मैं अकेला बैठकर छत पर,  बस उसे ही निहारता हूँ।  कभी शाम तो कभी रात,  बस चाँद को पुकारता हूँ।।  हर दिन हर सुबह तवज्जों से,  मैं बस यही सिफारिश करता हूँ।  किसी रात चाँद उतरे हुजरे पर,  इसकी खुदा से गुजारिश करता हूँ।।  वो जिस दिन उतरेगी छत पर,  चारों तरफ रौशनी ही रौशनी होगी।  चाँद होगी मेरे आशियाँ पर,  और शहरवालों की आँखों में रतौंधी होगी।  उस दिन से मैं शहर का,  सबसे रईस जमींदार हो जाऊंगा।  चाँद मेरे हुजरे की रानी,  और मैं उसका कर्जदार हो जाऊंगा।।  माना दूरियाँ लंबी हैं,  मगर जल्दी ये दूरियाँ दूर हो जायेगी।  माना फ़ासले बडें हैं,  मगर जल्द ये फ़ासले मिट जायेंगे।।  बस अब कुछ दिनों की बात है, मुझे उस घडी का इंतज़ार है।  मालूम मुझे जल्द बीतेगा ये समय,  फिर मेरी चाँद का इज़हार है।। ×2 - V.S.Nikhil Kaser (Young Writer & Philosopher)  #BeConnectWithNikhil Special Than...

Chandra Darshan: Poetry Series (Poetry 2)

कविता लहर (कविता - 2)  लेखक : वी.एस.निखिल कसेर शीर्षक: मुझे सिर्फ चाँद पर लिखना है!   "कभी कभी, छोटे छोटे कामों में उलझ जाता हूँ!  इसके चक्कर में, मैं लिखना शुरू से भूल जाता हूँ!  पर दावे से कह सकता हूँ कि कोई रात बीती नहीं अब तक!  जिस दिन शायरी-कलम चली न हो.. ख्वाब चाँद की बनी न हो।  मैं पूरे शहर का अकेला शायर हूँ!  जो चाँद से बेइंतेहा इश्क़ करता हूँ!  कुछ सुबह, कुछ दोपहर में फलक पर तो कुछ शाम की कशिस में करता हो!!  कुछ इश्क़ आसमां में ऊँचाइयों पर,  तो कुछ जमीं की गहराइयों में करता हूँ।  कुछ दिन के उजाले में बेबाक सा,  तो कुछ चांदनी रात में बकौफ करता हूँ।।  चाँद जबसे मिली रूह है मेरी,  उसके नखरे सारे पसंदीदा ख्वाहिशें हैं मेरे।  उसकी अंगड़ाई चाय की प्याली है मेरी,  उसके ख्वाब सारे इबादतों के पैग़ाम है मेरे।  ऐ खुदा! चाँद प्यारी है जान सी मेरी मुझे,  अब हर रात चाँद के साथ लिखने की तमन्ना है चाहे जियूँ जितने भी दिन जिंदगी के गिनकर,  हर वक़्त साथ चाँद के गुजारने की सिफारिश है।  माना च...

Chandra Darshan : Poetry Series (Poetry 1: तू याद है मुझे!)

चंद्र दर्शन: एक कविता लहर (कविता - 1)  लेखक : वी.एस.निखिल कसेर शीर्षक: तू याद है मुझे!   "वो काली काली रात याद है मुझे!  हर रात की वो याद, याद है मुझे!  मिलकर देखे थे जो ख्वाब याद है मुझे!  कुछ पूरे करने जो है बाकी, याद है मुझे!  पिछले सावन की हर हवा याद है मुझे!  तपते ग्रीष्म की तपिश याद है मुझे!  बारिश की हर इक बूंद याद है मुझे!  तेरे चेहरे का खुबसूरत नूर याद है मुझे!  तेरी हर एक अदा याद है मुझे!  तेरी हर इक हंसी याद है मुझे!  तेरे सारे वादे जो किये थे तूने याद है मुझे!  कुछ जो तुम भूल गई वो भी याद है मुझे!  तेरी सारी कबूतरी चिठ्ठीयाँ याद है मुझे!  सुनते थे जो नगमे पुराने याद है मुझे!  तेरी हर हंसी, हर खुशी याद है मुझे!  तेरी ताजी ताजी हवा याद है मुझे!  तेरी सारी अतखेलियाँ याद है मुझे!  तेरी हर इक मासूमियत याद है मुझे!  सारे बहाने इरादे तेरे याद है मुझे!  अहसास प्यारे सारे याद है मुझे!  तेरे सारे रंग खूबसूरती के याद है मुझे!  तेरे साथ खेली हर होली याद है मुझे!  ...